भारत एक विशाल प्रायद्वीप है, जो तीनों ओर से समुद्र से घिरा है। इसे आर्यावर्त ,ब्रह्मावर्त, हिन्दुस्तान तथा इण्डिया जैसे नामों से भी जाना जाता है।
– भारत की मूलभूत एकता के लिए भारतवर्ष नाम सर्वप्रथम पाणिनी की अष्टाध्यायी में आया है।
देश का भारत नामकरण ऋग्वैदिक काल के प्रमुख स्टजन ‘भरत‘ के नाम पर किया गया।
यूनानियों ने भारतवर्ष के लिए ‘इण्डियाशब्द का प्रयोग किया जबकि मध्यकालीन लेखकों ने इस देश टको हिन्द‘ अथवा ‘हिन्दुस्तान’ नाम से सम्बोधित किया।
ऐतिहासिक स्रोत
प्राचीन भारतीय इतिहास के अध्ययन के मख्यतः तीन स्रोत हैं
1.साहित्यिक साक्ष्य
2.पुरातात्विक साक्ष्य एवं
.3.विदेशियों के वृत्तान्त
साहित्यिक साक्ष्य
साहित्यिक साक्ष्य दो प्रकार के होते हैं- धार्मिक एवं धर्मनिरपेक्ष।
धार्मिक साहित्यिक साक्ष्यों के अन्तर्गत वेद, वेदांग, उपनिषद्ब्राह्मणआरण्यक, पुराणरामायण, महाभारतस्मृति ग्रन्थ तथा बौद्ध एवं जैन साहित्य
आदि को सम्मिलित किया जाता है, जबकि विदेशियों के वृतान्तों को धर्मनिरपेक्ष साहित्य के अन्तर्गत रखा जाता है।
वेदों की संख्या चार हैं- ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद तथा वेदांग के अन्तर्गत शिक्षा, कल्पके ज्योतिष, व्याकरण, निरुक्त तथा छन्द आते हैं। यजुर्वेद कर्मकाण्ड प्रधान है। सामवेद में संगीत का प्रथम साक्ष्य मिलता है।
श्रत सूत्र में यज्ञ सम्बन्धी, गृह्य सूत्र में लौकिक एवं पारलौकिक कर्तव्यों तथा धर्म सूत्र में धार्मिक, सामाजिक एवं राजनीतिक कर्तव्यों का उल्लेख मिलता है।
वेद
ऋग्वेद ने यह ऋचाओं का संग्रह है। सामवेद यह गीतिरूप मन्त्रों का संग्रह है और इसके अधिकांश गीत ऋग्वेद से लिए गए हैं।
यजुर्वेद में इसमें यज्ञानुष्ठान के लिए विनियोग वाक्यों का समावेश है। अथर्ववेद यह तन्च-मन्त्रों का संग्रह है। बौद्ध ग्रन्थों में त्रिपिटक, निकाय तथा जातक आदि। प्रमुख हैं। बौद्ध ग्रन्थ दीपवंश, महावंश से मौर्यकालीन पर्याप्त जानकारी मिलती है। नागसेन रचित
मिलिन्दपन्हो से हिन्द यवन शासक मिनाण्डर के विषय में सूचना मिलती है। बौद्ध तथा जैन ग्रन्थों से तत्कालीन सामाजिक, सांस्कृतिक तथा आर्थिक परिस्थितियों का ज्ञान होता है।
जैन-ग्रन्य भगवती सूत्र में महावीर स्वामी के जीवन
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तथा सोलह महाजनपदों का वर्णन है। शंगकाल में पतंजलि ने पाणिनी की अष्टाध्यायी पर महाभाध्य लिखाजिससे मौर्योत्तरकालीन व्यवस्था की जानकारी मिलती है। पतंजलि, पुष्यमित्र तुंग के। पुरोहित थे। अष्टाध्यायी संस्कृत व्याकरण का पहला ग्रन्थ है, जिसकी रचना पाणिनी ने की थी। इसमें पूर्व मौर्यकाल की सामाजिक दशा का चित्रण मिलता है। अर्थशास्त्र कौटिल्य द्वारा रचित है, जिसे चाणक्य तथा विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है। अर्थशास्त्र में मौर्यकालीन राजव्यवस्था का स्पष्ट चित्रण मिलता है। यह राजकीय व्यवस्था पर लिखी गई पहली पुस्तक है। संस्कृत भाषा में ऐतिहासिक घटनाओं का क्रमबद्ध लेखन कल्हण ने किया। कल्हण की राजतरंगिणी में कश्मीर के इतिहास का वर्णन है।
ऐतिहासिक ग्रन्थ रचनाकार
ग्रन्थ रचनाकार ग्रन्थ ग्रन्थ रचनाकार
कथासरित्सागर सोमदेव रामचरित हेमचन्द्र
वृहत्कथामंजरी क्षेमेन्द्र कुमारपालचरित जयसिंह
दशकुमारचरित दण्डी बयाश्रय काव्य हेमचन्द्र
मृच्छकटिक शूद्रक नवसाहसाकच पद्मगुप्त
अर्थशास्त्र कौटिल्य पृथ्वीराज जयानक
हर्षचरित बाणभटट प्रबन्ध कोश राजशेखर